
कांग्रेस ने कहा, यह एक पुरुष का अहंकार और आत्म-प्रचार की इच्छा है जिसने पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को नए संसद भवन का उद्घाटन करने के उनके संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है।
नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस ने हमले तेज कर दिए हैं। पार्टी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक व्यक्ति के अहंकार और खुद के प्रचार की इच्छा ने देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को परिसर का उद्घाटन करने के उनके संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है।
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19 विपक्षी दलों ने की उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की घोषणा
इससे एक दिन पहले 19 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करते हुए साझा बयान जारी किया। इन दलों का कहना है कि इस नई इमारत का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा किया जाना चाहिए न कि प्रधानमंत्री मोदी। कांग्रेस, वाम, तृणमूल कांग्रेस, सपा और आप सहित 19 विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से बहिष्कार की घोषणा करते हुए कहा कि जब लोकतंत्र की आत्मा को ही छीन लिया गया है तो इस भवन की कोई कीमत नजर नहीं आती।
अशोक द ग्रेट, अकबर द ग्रेट, मोदी द इनॉग्रेट…
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं करते हैं, तो उनकी पार्टी इसमें शामिल नहीं होगी। वहीं, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, ”कल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रांची में झारखंड उच्च न्यायालय परिसर में देश के सबसे बड़े न्यायिक परिसर का उद्घाटन किया। यह एक पुरुष का अहंकार और आत्म-प्रचार की इच्छा है जिसने पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को 28 मई को नई दिल्ली में नए संसद भवन का उद्घाटन करने के उनके संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है।” रमेश ने कहा, ‘अशोक द ग्रेट, अकबर द ग्रेट, मोदी द इनॉग्रेट।’
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने विपक्ष पर किया पलटवार
विपक्ष के बहिष्कार के आह्वान के बाद भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने भी तीखा पलटवार करते हुए विपक्ष के रुख को ‘लोकतांत्रिक लोकाचार और महान राष्ट्र के संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान’ करार दिया था। 19 विपक्षी दलों ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल एक गंभीर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है।